रादौर, 28 अप्रैल (कुलदीप सैनी) : राजकीय संस्कृति मॉडल स्कूलों में गरीब अभिभावकों पर जबरदस्ती 200 से 500 रुपए मासिक तथा 1000 रुपए दाखिला फीस लगाए जाने, शिक्षा सत्र का लगभग एक महीना गुजर जाने के बावजूद अभी तक स्कूलों में किताबों के स्कूलों न पहुंचने पर हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने रोष प्रकट किया है। मांगों को लेकर संघ का एक प्रतिनिधिमंडल खंड प्रधान मनीष तंवर के नेतृत्व में खंड शिक्षा अधिकारी से मिला और ज्ञापन सौंपकर उक्त समस्याओं का समाधान करवाने की मांग की। इस दौरान सरकार व विभाग के खिलाफ रोष भी प्रकट किया गया।
खंड प्रधान मनीष तंवर व खंड सचिव संदीप चानना ने कहा कि बड़े शर्म की बात है कि एसीएस महोदय से 20 अप्रैल को हुई बातचीत में बिना एसएलसी के सरकारी स्कूलों में दाखिला देने की बात कही गई थी। जिसके लिए एसीएस महोदय द्वारा सहमति दी गई थी, लेकिन उसके बावजूद पत्र जारी किया जाता है कि सरकारी स्कूलों के गरीब छात्र- छात्राओं को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने के लिए सरकार स्वयं फीस वहन करेगी। ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्र-छात्राएं सरकारी स्कूलों को छोड़कर प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ले और अध्यापकों के रिक्त पड़े 40,000 पदों को भरने की जरूरत ही न पड़े। बच्चे के दाखिले को परिवार पहचान पत्र ( फैमिली आईडी) से जोड़ना बच्चे को पढ़ाई से वंचित रखने का कार्य सरकार कर रही है। जिस बच्चे का परिवार पहचान पत्र नहीं होगा उसका दाखिला नहीं होगा। जिले में दूसरे राज्यों से काम करने वाले हजारों परिवार है जिनका परिवार पहचान पत्र नहीं बन सकता उनके बच्चों का दाखिला नहीं हो सकेगा। इससे प्रवासी हजारों बच्चे शिक्षा की मुख्यधारा से बाहर हो जाएंगे। मॉडल संस्कृति स्कूलों को विशिष्टता का केंद्र बनाने के साथ-साथ अन्य स्कूलों में भी ढांचागत बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएं। मॉडल संस्कृति स्कूलों में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर नए सेक्शन बनवाने की बजाय उपलब्ध सेक्शनों के आधार पर ढांचागत सुविधाएं प्रदान की जाए। शिक्षकों के पद रिक्त पड़े है, लेकिन उनकी ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। सरकार को जल्द से जल्द शिक्षकों के खाली पड़े पदों पर नियमित भर्ती करनी चाहिए। इस अवसर पर दिनेश तंवर, राकेश पांचाल, पुनीत बालियान, पवन कुमार, लक्ष्मी चोपड़ा, सोनिया वोहरा, सोनू, जसकुमार, रजविन्द्र, पूनम इत्यादि मौजूद थे।