रादौर, 21 (कुलदीप सैनी) : गांव गुमथला राव स्थित इंकलाब मंदिर में क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त का शहीदी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया गया। मंदिर के संस्थापक अधिवक्ता वरयाम सिंह ने कहा कि बटुकेश्वर दत्त ने शहीद भगत सिंह के साथ मिल दिल्ली असेंबली में बम फेंका था और अपनी गिरफ्तारी दी थी। जिसके बाद भगत सिंह को फांसी की सजा व बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वर्ष 1938 में जेल से उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद वह फिर से देश को आजाद कराने के लिए आंदोलन में कूद पड़े। लेकिन उन्हें फिर से गिरफ्तार कर जेल के अंदर ड़ाल दिया गया। 1947 में देश के आजाद होने पर उन्हें भी जेल से रिहाई मिली। लेकिन देश के आजाद होने के बाद भी भारत सरकार की ओर से उन्हें व सम्मान नहीं मिल पाया जिसके वह हकदार थे। नौकरी पाने के लिए वह दर दर भटके। वर्ष 1963 में उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया गया। लेकिन वह राजनीति की चकाचौंध से दूर गुमनामी जिंदगी जीने लगे। 1964 में कैंसर की बिमारी ने उन्हें जकड़ लिया, जिसके बाद वह दिल्ली के सरकारी अस्पताल में भर्ती हुए। ईलाज के दौरान उन्होंने अस्पताल में ही दम तोड़ दिया। देश को आजाद कराने के लिए उनके द्वारा दिए गए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।