रादौर, 26 मार्च (कुलदीप सैनी) : पश्चिमी यमुना नहर के साथ गंदे पानी की निकासी के लिए बनाई गई डिच ड्रेन किसानों के लिए अभिशाप बन रही है। किसानों का कहना है कि डिच ड्रेन में बह रहे गंदे व केमिकल युक्त पानी से भूजल प्रभावित हो रहा है , जिससे उनकी फसलें प्रभावित हो रही है, वही बीमारियां बढ़ने का खतरा भी बढ़ गया है। ऐसे में किसानों ने प्रशासन से डिच ड्रेन में पानी को साफ़ कर छोड़ने की मांग की है। वही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी जल्द ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर समस्या के समाधान की बात कह रहे है।
सिंचाई विभाग द्वारा पश्चमी यमुना नहर के साथ साथ डिच ड्रेन बनाई गई थी, ताकि यमुनानगर शहर व फेक्ट्रियो का गंदा व केमिकल युक्त पानी इसमें छोड़ा जा सके। लेकिन अब यह डिच ड्रेन किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। दरअसल इस ड्रेन के साथ खेती करने वाले किसान समय सिंह, जरनैल सिंह पोटली, सुखदेव, रामलाल, अमरनाथ आदि किसानों ने बताया कि ड्रेन में लगातार गंदा पानी बहने से यह भूमि के जलस्तर को भी प्रभावित कर रहा है, जिस कारण उनके ट्युबवेल भी गंदा व केमिकल युक्त पानी देने लगे है, जिसका असर फसल के साथ साथ ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। ऐसे में किसानों ने प्रशासन से इस ड्रेन में गंदे पानी को साफ़ कर छोड़ने की मांग की है।
वही इस बारे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल ऑफिसर निर्मल कुमार से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि यह समस्या उनके संज्ञान में है। उन्होंने बताया कि इस ड्रेन की क्षमता 60 क्यूसेक की है, इसके लिए 45 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट रादौर रोड पर जलापूर्ति विभाग द्वारा लगाया गया है। लेकिन करीब दो वर्ष पहले जल शक्ति मंत्रालय ने भी ये मुद्दा उठाया था की ट्रीटमेंट प्लांट लग जाने के बाद भी इसमें साफ़ पानी क्यों नहीं छोड़ा जा रहा। जिसके बाद जांच की गई, तो पाया गया की अभी भी शहर का 66 एमएलडी पानी बिना साफ़ किये ही इस ड्रेन में जा रहा है। जिसके लिए यमुनानगर में एक और 66 एमएलडी का एक और ट्रीटमेंट प्लांट जल्द लगाया जाएगा, जिसके लिए मुख्यमंत्री ने भी हरी झंडी दे दी है। इसके लिए प्रक्रिया जारी है, उम्मीद है कि जल्द इस समस्या का समाधान हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि नहरों में गंदा पानी न छोड़ने के न्यायालय के आदेशों के बाद कई वर्ष पहले इस डिच ड्रेन का निर्माण सिंचाई विभाग द्वारा किया गया था, ताकि नहर के पानी को गंदा होने से बचाया जा सके। ऐसे में अब देखना होगा कि प्रशासन कब तक इस समस्या का समाधान कर क्षेत्रीय किसानों को राहत देता है।