रादौर – धरतीपुत्रों पर प्राकृतिक आपदा की मार जारी, अब गर्दन तोड़ बीमारी की चपेट में आई धान की फसल 

13
ख़बर सुने
🔔 वीडियो खबरें देखने के लिए 👉 यहां क्लिक करें 👈और हमारे चैनल को सब्सक्राइब व 🔔 का बटन दबा कर तुरंत पाए ताजा खबरों की अपडेट

रादौर, 29 सितंबर (कुलदीप सैनी) : धान उत्पादक किसानों को इस वर्ष फसल में बार बार आ रही बीमारी व प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ रहा है। जिससे धरतीपुत्रों की मेहनत लगातार बर्बाद हो रही है। धान की फसल में आई अज्ञात बीमारी व बेमौशमी बारिश के कारण सैंकड़ो एकड़ फसल पहले ही बर्बाद हो गई थी, वही किसानों की बची कुछ मेहनत पर अब गर्दन तोड़ नामक बीमारी के प्रकोप से फसल खराब हो रही है। जिस कारण धान उत्पादक किसान इस वर्ष खून के आंसू रोने पर मजबूर हो चुका है।

धान की फसल बनी किसानों के लिए घाटे का सौदा 

क्षेत्र के एक धान उत्पादक किसान बलजीत ने बताया की इस साल धान की फसल लगाकर सोचा था कि इस बार अच्छी फसल होगी, लेकिन बीमारी व प्राकृतिक आपदा के कारण करीब 50 फीसदी फसल बर्बाद हो चुकी है। अब जो फसल खेत में बची थी उसको लेकर वे संतुष्ट थे की कम से कम इस फसल को मंडी में बेचकर फसल पर आया खर्च पूरा कर लेंगे। लेकिन अब धान की फसल में आई गर्दन तोड़ बीमारी व मच्छरों के कारण पूरी फसल बर्बाद हो रही है।

महंगे कीटनाशकों का छिड़काव करने पर मजबूर 

धान उत्पादक किसान श्याम सिंह ने बताया कि बीमारी से बचाव के लिए वे कीटनाशकों का भी छिड़काव फसल पर कर रहे है, लेकिन गर्दन तोड़ बीमारी से जहां फसल सूखती जा रही, वही मच्छरों के फसल पर अटैक से मच्छर फसल का रस चूसकर उसे बर्बाद कर रहे है। ऐसे में इस बार उन्हें धान की फसल पर आया खर्च पूरा करना भी मुश्किल लग रहा है।

जानिए कैसे करें बीमारी से बचाव

खंड कृषि अधिकारी राकेश अग्रवाल से बात की गई तो उन्होंने माना की इस समय फसल में गर्दन तोड़ व मच्छरों के अटैक से फसल खराब हो रही है। जिसका ज्यादा असर मुछल धान में ज्यादा असर देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि बरसात ज्यादा होने के कारण नमी के चलते इस समय धान की फसल में गर्दन तोड़ सहित अनेक प्रकार की बीमारी की चपेट में है। गर्दन तोड़ बीमारी के लिए उन्होंने एमी स्टार या नेटिवो का छिड़काव कर फसल को बचाया जा सकता है। वही उन्होंने बताया की तीन प्रकार के मच्छर होते काला, भूरा व सफेद जो कि पौधों का रस चूस लेते है। मच्छरों के बचाव के लिए किसान चेस नाम की दवाई है, जिसका 120 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से स्प्रे करना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here