रादौर, 23 अप्रैल (कुलदीप सैनी) : गांव दामला के समीप एक निर्माणाधीन फैक्ट्री की जगह पर गिराई जा रही शुगर मिल की मली (प्रेस मड) से फैल रही दुर्गंध से क्षेत्रवासी परेशान है। लोगों का कहना है कि यह दुर्गंध लगातार बढ़ रही है। जिसकी शिकायत वह पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड यमुनानगर व सीएम विंडो के माध्यम से मुख्यमंत्री से भी कर चुके है। लेकिन शिकायत के बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगर जल्द ही इस समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ तो उन्हें मजबूरन आंदोलन करना होगा। जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
मुख्यमंत्री को भेजी शिकायत में आज्ञाराम सैनी, सुमित सैनी, विवेक शर्मा, अनिल कुमार, रामकुमार, राकेश, विपिन कुमार, अनूप अग्रवाल, सुरेश कुमार इत्यादि ने बताया कि दामला-दूधला मार्ग पर एक केमिकल फैक्ट्री का निर्माण कार्य चल रहा है। जिसमें संचालक द्वारा शुगर मिल की मली डलवाई जा रही है। इस मली से लगातार गंदी बदबू आ रही है। इस मार्ग से करीब 20 से 25 गांवो के लोग गुजरते है। वहीं 8 से 10 गांव इस फैक्ट्री के नजदीक पड़ते है। मली के कारण न केवल गंदी बदबू का सामना लोगों का करना पड़ रहा है वहीं आंखो में जलन, सिरदर्द व अन्य समस्याओं का सामना भी लोगों का करना पड़ रहा है। जिससे लोग काफी परेशान है। फैक्ट्री संचालक ने गांव की पंचायत से भी इसकी कोई सहमति नहीं ली है। समस्या को लेकर ग्रामीण पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के साथ साथ सीएम विंडो के माध्यम से मुख्यमंत्री को भी शिकायत दे चुके है। लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से इस समस्या के समाधान पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। अगर जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीणो को आंदोलन करने पर विवश होना पड़ सकता है। इसलिए जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करवाया जाए।
प्रशासन ने नहीं दिखाई सर्तकता तो कांजनू मामले की तरह बढ़ सकता है विवाद
पिछले दिनो गांव कांजनू में भी प्रस्तावित मीट प्रौसेसिंग फैक्ट्री के लगाए जाने का ग्रामीणों ने विरोध किया था। जिसमें एक बड़ी महापंचायत भी गांव में हुई थी। वहीं ग्रामीणों ने एडीएम कार्यालय का घेराव भी किया था। इसके अलावा एक लंबा धरना प्रदर्शन प्रस्तावित फैक्ट्री स्थल पर चला था। जिसका बाद में आपसी बातचीत से समझौता हुआ। इस मामले से प्रशासन को भी काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। अब दामला में भी ग्रामीण इसी प्रकार समस्या गिनवा रहे है। अगर जल्द ही प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया तो वहां भी इस प्रकार का आंदोलन खड़ा हो सकता है और प्रशासनिक अधिकारियों व संचालक को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
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